Friday 8 September 2017

कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो आप जिंदगी भर खुश रहेंगे इस लेखा को पड़ें फायदा होगा

जैसा व्यवहार हम दूसरों के माता - पिता और बीवी - बच्चों के साथ करते हैं बस ऐसा व्यवहार हम खुद के परिवार से करने लग जाएं, जितनी प्रतिष्ठा और निष्ठा के साथ हम सबके सामने जीवन जीने का दिखावा करते हैं, बस उतनी ही प्रतिष्ठा और निष्ठा के साथ हम एकांत में जीने लग जाएं।​ जितने सुझाव हम बिना मांगे दूसरों को देते रहते हैं, उन में से बस कुछेक सुझावों को यदि हम स्वयं भी मानने लग जाएँ तो फिर सत्य समझ लेना, जीवन की बहुत सारी मुश्किलें स्वतः हल होने लग जायँगी और जीवन बहुत सरल लगने लग जायगा।​ आजकल आलम तो ये की दुसरे के माता पिता को देखते ही नमस्कार कर देते है चाहे वो कितनी ही बार क्यों न मिलें परन्तु अपने माता के चरणों में झुकने में शर्म महसूस होती है। 

सभी माताएं ये चाहती हैं कि  उनका पुत्र "श्रवण कुमार" बनें परन्तु जब उनका पति "श्रवण कुमार"  बनाने की कोशिस करता है तो  वे अपने पति को माता पिता से दूर रखने का प्रयास करती हैं, और हरेक पिता चाहता है की उसका बेटा  राम बनें परन्तु वो खुद कभी दशरथ नहीं बन पाते, में यहाँ आपको ये समझाना चाहता हूँ की लड़का, बेटा, पुत्र में क्या अंतर है तो आप स्वयं ही अंदाजा लगा लेंगे की अपने बच्चे का परिचय कैसे दें। 

लड़का कहते हैं उसको जो की अपना हिस्सा लड़के ले, पुराने जमाने में जो व्यक्ति अपने माता, पिता, भाई और बहन से अपना हिस्सा लड़के लेता था और न्यारा हो जाता था उसको लड़का बोला  जाता था, और बेटा  उसको बोलते थे जो उसके बट में आयी उसी चीज से संतुस्ट रहता था, हिस्सा के लिए झगड़ा नहीं करता था परन्तु बेटा भी न्यारा हो जाता था, परन्तु पुत्र वो होता है उसे पिता की दौलत से कोई मतलब नहीं होता बस माता पिता की सेवा में ही अपना सारा जीवन लगा दे, उनकी हर आज्ञा का पालन करना उनको कोई कस्ट ना पहुंचना, इस तरह आप लड़की, बेटी, पुत्री का अर्थ भी लगा लें।

आज कल जब पुत्र पैदा होता है तो माता पिता कहते हैं कि लड़का पैदा हुआ है, यानि कि वे पहले से अपने पुत्र  को लड़ने वाला बोलते है, जब कोई उनसे पूछता है कि क्या हुआ तो बोलते है की हमारे घर में अपना हिस्सा लड़के लेने वाला लड़का पैदा हुआ है जिसे माता पिता से कोई मतलब नहीं बस उसे अपना हिस्सा चाहिये। 

आप किसी भी शास्त्र और पुराण को उठा कर देख लें उसमे कहीं भी लड़का और बेटा शब्द का प्रयोग नहीं किया  गया है, तो यदि आप अपने पुत्र में अच्छे संस्कार डालना चाहते हैं तो उसे हमेशा पुत्र या पुत्री बोलें। 

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