Friday 8 September 2017

खाना जब भी खाएं अच्छी तरह चबा चबा कर खाएं जानिए क्यों ?


राजीव दीक्षित जी कहते की खाने को अच्छी तरह दांतों से चबा चबा कर खाएं। जब उनसे ये पुछा गया की खाने के कौर को कितनी बार चबाएं  तो उन्होंने कहा की जिसके मुँह में जितने दांत उतनी बार कौर को चबाऐं। यानी की एक व्यक्ति के आमतौर पर 32 दांत  होते हैं तो हमें एक कौर को 32 बार चबाना चहिये। स्वस्थ रहने के लिए हम सिर्फ अच्छी डाइट पर ही ध्यान देते हैं परन्तु हम ये नहीं सोचते की यदि वह डाइट अच्छी तरह नहीं पचती तो और भी घातक हो जाती है। जिससे कई तरह की बीमारी  बन जाती है उनमें सबसे खतरनाक बीमारी है मधुमेह, गैस, वजन का बढ़ना, भूक न लगना, जी मचलाना, सिरदर्द और कब्ज बन जाती है। खाना सही से न पचने की वजह  है की हम खाने को चबा चबा कर नहीं खाते और हमारे शरीर में वह खाना ढंग से नहीं पचता।

हमारे मुँह में एक क्षारीय तत्त्व होता है जिसे हम लार कहते हैं जब हम खाने को चबा चबा कर खाते है तो  हमारे मुँह की लार हमारे खाने के साथ मिल जाती है और वह लार हमारे खाने को अच्छी तरह पचने में मदद करती है। और दूसरी बात ये है की जब हम खाने को चबा चबा कर खाते है तो हम अपनी भूक से ज्यादा नहीं खा पातें हैं। और क्यों की हमारे खाने के 20 मिनट के बाद हमको एहसास होता है की हमारा पेट भर गया है परन्तु जब हम खाना जल्दी जल्दी खातें है तो हम बीस मिनट में भूक से ज्यादा खा जाते है और हमारा खाना पच नहीं पाता और हमारा वजन बढ़ जाता है, और बीमारी हमारे शरीर में बन  जाती हैं।

तीसरी बात ये है की हमारे शास्त्रों में ये लिखा हुआ है कि यदि हम खाने को धीरे धीरे चबाकर खाएंगे तो हमारे गुस्से पर नियंत्रण रहता है, हम किसी भी काम में हड़बड़ी नहीं करते हैं, रक्त संचार नियंत्रण रहता है, और अपने काम  पर ध्यान केंद्रित करता है। तो इसलिए खाना खाते वक्त ध्यान रखें कि जब भी खाना खाएं तब खाने को अच्छी तरह चबा चबा कर खाएं। 

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