Friday 3 August 2018

कभी सोचा है की प्रभु श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था ? नहीं तो जानिये

ब्रह्मा जी से मरीचि हुए, मरीचि के पुत्र कश्यप हुए, कश्यप के पुत्र विवस्वान थे, विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए, वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था, वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की।

इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए, कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था, विकुक्षि के पुत्र बाण हुए, बाण के पुत्र अनरण्य हुए, अनरण्य से पृथु हुए, पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ, त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए, धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था, युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए, मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ, सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित, ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए, भरत के पुत्र असित हुए, असित के पुत्र सगर हुए, सगर के पुत्र का नाम असमंज था, असमंज के पुत्र अंशुमान हुए, अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था।

भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे, ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है।

रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए, प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे, शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए, सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था, अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए, शीघ्रग के पुत्र मरु हुए, मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे, प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था।

नहुष के पुत्र ययाति हुए, ययाति के पुत्र नाभाग हुए, नाभाग के पुत्र का नाम अज था, अज के पुत्र दशरथ हुए, दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए, इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ, भगवान श्री राम के दो पुत्र थे, लव और कुश।

कुश के पुत्र अतिथि हुये, अतिथि के पुत्र निषधन हुये, निषधन के पुत्र नभ हुये, नभ के पुत्र पुण्डरीक हुये, पुण्डरीक के पुत्र क्षेमन्धवा हुये, क्षेमन्धवा के पुत्र देवानीक हुये, देवानीक के पुत्र अहीनक हुये, अहीनक से रुरु हुये, रुरु से पारियात्र हुये, पारियात्र से दल हुये, दल से छल हुये, छल से उक्थ हुये, उक्थ से वज्रनाभ हुये, वज्रनाभ से गण हुये, गण से व्युषिताश्व हुये, व्युषिताश्व से विश्वसह हुये, विश्वसह से हिरण्यनाभ हुये, हिरण्यनाभ से पुष्य हुये, पुष्य से ध्रुवसंधि हुये, ध्रुवसंधि से सुदर्शन हुये, सुदर्शन से अग्रिवर्ण हुये, अग्रिवर्ण से पद्मवर्ण हुये, पद्मवर्ण से शीघ्र हुये, शीघ्र से मरु हुये, मरु से प्रयुश्रुत हुये, प्रयुश्रुत से उदावसु हुये।

उदावसु से नंदिवर्धन हुये, नंदिवर्धन से सकेतु हुये, सकेतु से देवरात हुये, देवरात से बृहदुक्थ हुये, बृहदुक्थ से महावीर्य हुये, महावीर्य से सुधृति हुये, सुधृति से धृष्टकेतु हुये, धृष्टकेतु से हर्यव हुये, हर्यव से मरु हुये, मरु से प्रतीन्धक हुये, प्रतीन्धक से कुतिरथ हुये, कुतिरथ से देवमीढ़ हुये, देवमीढ़ से विबुध हुये, विबुध से महाधृति हुये, महाधृति से कीर्तिरात हुये, कीर्तिरात से महारोमा हुये, महारोमा से स्वर्णरोमा हुये, स्वर्णरोमा से ह्रस्वरोमा हुये, ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ, ये “सीरध्वज” सीता के पिता जनक सीरध्वज से अलग हैं, क्योंकि सीरध्वज नाम से अनेक और व्यक्ति हुए हैं।

शल्य, माद्रा (मद्रदेश) के राजा जो पांडु के सगे साले और नकुल व सहदेव के मामा थे, परंतु महाभारत में इन्होंने पांडवों का साथ नहीं दिया और कर्ण के सारथी बन गए थे, कर्ण की मृत्यु पर युद्ध के अंतिम दिन इन्होंने कौरव सेना का नेतृत्व किया और उसी दिन युधिष्ठिर के हाथ मारे गए, इनकी बहन माद्री, कुंती की सौत थीं और पांडु के शव के साथ चिता पर जीवित भस्म हो गई थीं।

इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। महाभारत के पश्चात अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सुमित्र हुए, शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने। 

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