Tuesday 27 March 2018

जरा सोचिए - विज्ञान हमे कहाँ ले आया


पहले :- वो कुँए का मैला कुचला पानी पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे। 
अब :- RO का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बुढे हो रहे हैं। 

पहले :- वो घाणी का मैला सा तैल खाके बुढ़ापे में भी मेहनत कर लेते थे।
अब :- हम डबल-ट्रिपल फ़िल्टर तैल खा कर जवानी में भी हाँफ जाते हैं। 

पहले :- वो डले वाला नमक खाके बीमार ना पड़ते थे।
अब :- हम आयोडीन युक्त खाके हाई-लो बीपी लिये पड़े हैं।

पहले :- वो नीम-बबूल कोयला नमक से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष तक भी चब्बा-चब्बा कर खाते थे। 
अब :- कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते हैं।

पहले :- वो नाड़ी पकड़ कर रोग बता देते थे। 
अब :- आज जाँचे कराने पर भी रोग नहीं जान पाते हैं।

पहले :- वो 7-8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी खेत का काम करती थी।
अब :- पहले महीने से डॉक्टर की देख-रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते हैं।

पहले :- काले गुड़ की मिठाइयां ठोक ठोक के खा जाते थे। 
अब :- खाने से पहले ही सुगर की बीमारी हो जाती है। 

पहले :- बुजर्गो के भी घुटने नहीं दुखते थे। 
अब :- जवान भी घुटनो और कन्धों के दर्द से कहराता है। 

समझ नहीं आता ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?

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